Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -06-Jul-2022 - मंजिल


मौन तुझको अब रहना नहीं है , 
नीर और यहांँ बहाना नहीं हैं |
बहुत सहे तुमने ज़ुल्मों सितम , 
अब और यहांँ सहना नहीं हैं |
बोल न पाई जो अब तलक , 
उन शब्दों को सीना नहीं हैं |
लफ्जों में बदलो मौन को , 
पिंजरे में अब जीना नहीं हैं |
मौन को अपने आवाज दो, 
मंजिल को पाकर अंजाम दो |
अवारों की महफिल छोड़कर, 
इरादों को अपने आकाश दो |
लोग यहांँ हर वक्त कहेंगे तुमसे , 
चुप रहने की होगी गुजारिश तुमसे |
गलत काज किसी का करना नहीं हैं , 
बेटियों अब तुमको चुप रहना नहीं हैं |
जलाई ना जाओं कहीं किसी दिन , 
दहेज प्रथा को तोड़ना ही होगा |
लोभियों से दुनिया को बचाकर, 
प्रेम रस दिलों में भरना ही होगा |
मौन को अपने आवाज तुम बना लो , 
जीती जागती नारी हो एहसास करा दो |
कुछ भी तुम कर सकती हो जग में , 
अधिकारों को तुम अपने बचा लो ||


#दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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7 Comments

Seema Priyadarshini sahay

08-Jul-2022 09:09 PM

बहुत खूबसूरत

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Shrishti pandey

07-Jul-2022 09:23 AM

Nice

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Abhinav ji

07-Jul-2022 08:22 AM

Nice

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